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BlackAngel1829 GuestbookMrkhanna (11 years ago) Mai Mar Jaoun Tou Mera Dil Nikaal Kar Usy De Aaana. . . , Mai Nahi Chahta Mere Marny K Baad Wo Khelna Chor De. . !! prem765 (11 years ago) Missing a Good Person in Life is Equal to Cheating the Life by yourself. So Never Miss Any Good Person At Any Cost till End of your Life". prem765 (11 years ago) Wo Kya Samjhega Pyaar Ki Gahrai Ko,, . Jo Pagalpan Samajhta Hai Meri Tanhai Ko,, . Wafa Ki Ummid To Humne Hi Ki Thi,, . Ab Kyu Ilzaam De Uski Bewafai Ko... prem765 (11 years ago) Dur hokr rehna nazakt h mri yd bnkr ankho se behna sharat h mri karib na hote hue bi karib paoge mujhe kyunki ehsaas bnkr rhena aadat h mri. prem765 (11 years ago) Ab to hum tere liye ajnabi ho gaye.. Baton k silsile bhi kam ho gaye.... Khushiyo se ziyada hamare pas gam ho gaye... Kya pata ye waqt bura hai ya Burehum ho gaye.... gud nyt prem765 (11 years ago) ☼ ☼ ¸.•*""*•.¸ ☼ ¸.•*""*•.¸ ☼ ☼ ☼ ☼¸.•*""*•.¸ ☼ ¸.•*""*•.¸ ☼ ☼ ๑۩۩๑●▬▬▬▬๑۩ ℊ◎◎∂---♥---ε♥εη☤ηℊ--- ♥---ßü∂ḓƴ ۩๑▬▬▬▬▬● ๑۩۩๑ ☼ ☼¸.•*""*•.¸ ☼ ¸.•*""*•.¸ ☼ ☼ ☼ ☼¸.•*""*•.¸ ☼ ¸.•*""*•.¸ ☼ ☼ JeetCHAUHAN (11 years ago) Kisi kho na pane se “zindagi” Khatam nhi hoti..! “LEKIN” Kisi ko pa kr kho dene se Kuch baqi nhi rehta..! JeetCHAUHAN (11 years ago) एक कौवे को अपने झुण्ड में रहना ज़रा भी अच्छा नहीं लगता था. उसे अपने काले रूप-रंग से बड़ी चिढ़ थी. वह अक्सर मोरके रूप को देख कर ईर्ष्या किया करता था. एक बार उसने बहुत से मोर पंख इकट्ठे कर लिए और उन मोर पंखों को अपने शरीर पर लगा कर मोरों के झुण्ड में शामिल होने चल दिया. उसे देखते ही मोरों ने ठहाका लगाया -" इस दुष्ट कौवे को देखो....मोर बनने चला है. मारो इसे " फिर क्या था, सभी मोर उस कौवे पर टूट पड़े और मार-मार कर उस बहुरूपिये कौवेको अधमरा कर दूर भगा दिया. घायल दशा में कौवा अपने झुण्ड में लौटकर मोरों की शिकायत करने लगा. दूसरे कौवों ने उसे हिकारत से देखा. एकबुजुर्ग कौवे ने नसीहत दी-" ये कौवा हम सब से अलग चलता था. कभी मोर और कभी हंस के झुण्ड में शामिल होने के लिए उतावला रहता था. लगाओ इसे ठोकरें .... जोप्राणी अपनी जाति,रूप-रंग से संतुष्ट नहीं रहता, वह हर जगह अपमान पाता है." अत: कौवों ने भी चोंच मार-मार कर उसे भगा दिया. वह कौवा मोर तो न बन पाया, कौवों ने भी उसे अपनाने से इन्कार कर दिया. कौवा घरका रहा न घाट का. सीख:- ईश्वर ने हमें जिस रूप में जन्माहै, उसी में संतुष्ट रहकर अपने कर्मो पर ध्यान देना चाहिए | |